वेद - सार
वेद - सार
वेद हमारे सबसे पुराने ग्रन्थ हैं. सृष्टि के आरम्भ में ईश्वर ने अपना ईश्वरीय ज्ञान चार ऋषियों - अग्नि आदित्य वायु और अंगिरा के माध्यम से पृथ्वी पर भेजा था . वेद चार हैं - ऋगवेद, यजुर्वेद ,सामवेद और अथर्व वेद . वेद में हैं अनेकोनेक श्रुतियां - जो की संस्कृत में लिखे मंत्र या श्लोक के रूप में हैं .
ईशावास्योपनिषद मन्त्र -7
यस्मिन्सर्वाणि भूतान्यात्मैवाभूद्विजानतः ।
तत्र को मोहः कः शोकः एकत्वमनुपश्यतः II 7II
क्या मोह करूँ
क्या शोक करूँ
सब कुछ मेरा
सब कुछ तेरा
जब भेद नहीं
मतभेद नहीं
फिर राग नहीं
फिर द्वेष नहीं
जब मैं सब में
जब तू सब में
फिर कष्ट कहाँ
फिर दुःख कहाँ
ईशावास्योपनिषद मन्त्र -6
यस्तु सर्वाणि भूतानि आत्मन्ने वानुपश्यति I
सर्व भूतेषु चात्मानं ततो न विचिकित्सति II 6 II
सब मुझ में हैं
मैं सब में हूँ
सब उसमें हैं
मैं उसमें हूँ
फिर मैं क्या हूँ
फिर सब क्या हैं
हम हैं क्या कुछ
बस वो सब कुछ
वो मेरा है
मैं उसका हूँ
सब उसका है
वो सबका है
ईशावास्योपनिषद मन्त्र -5
तदेजति तन्नैजति तद्दूरे तदु अन्तिके I
तदन्तरस्य सर्वस्य तदु सर्वस्यास्य बाह्यतः II 5 II
वह चल रहा , वो चलायमान
वो थमा हुआ है विद्यमान
जो चला रहा ब्रह्माण्ड को
जो जानता हर कांड को
जो है दूर यूँ दिखता नहीं
वो है पास पर मिलता नहीं
वो घुला हुआ है जगत से
पर भी अलग है जगत से
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